Bihar Land Record : बिहार के सभी अंचलों में खुलेगा जमीन का डिजिटल रिकॉर्ड रूम.
बिहार में जमीन को लेकर कई बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। हाल ही में सरकार ने जमीन रजिस्ट्री के नए नियम लागू किए थे, जिसके अनुसार जमाबंदी अपने नाम पर ट्रांसफर करने के बाद ही कोई भी व्यक्ति जमीन बेच सकता था। हालांकि, सितंबर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस नियम पर रोक लग गई है। लेकिन अब बिहार सरकार एक के बाद एक कई बड़े नियम के साथ बिहार में बदलाव करने जा रही है। इसी कड़ी में बीते दिनों सरकार ने जमीन मालिकों को बैंक की तरह पासबुक देने का ऐलान किया था। अब सरकार ने जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटल करने के लिए बड़ा ऐलान किया है। इस साल के अंत तक बिहार के सभी रिकॉर्ड रूम पूरी तरह से डिजिटल करने को लेकर सरकार लगातार काम कर रही है। बिहार के सभी जिलों में अभिलेखागार डिजिटल लाइब्रेरी में बदल दिए जाएंगे। इसका मतलब यह होगा कि अब आपको राजस्व यानी जमीन से संबंधित किसी भी रिकॉर्ड के लिए बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। आप बस एक क्लिक पर ऑनलाइन जाकर जमीन की कोई भी जानकारी ले सकते हैं।
बिहार के 534 अंचल कार्यालयों को अब डिजिटल लाइब्रेरी में बदल दिया जाएगा। यह बदलाव चौथे कृषि रोड मैप के तहत इस साल पूरा करने का निर्णय लिया गया है। बिहार के 274 अंचलों को इस साल डिजिटल लाइब्रेरी में बदल दिया जाएगा। इससे पहले 260 अंचलों में डिजिटल लाइब्रेरी का काम पूरा कर लिया गया है। पहले फेज में 260 अंचल और अब 274 अंचल को मिलाकर कुल 534 अंचल को डिजिटल लाइब्रेरी में बदल दिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर सरकार ने 25 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च किया है।
डिजिटल लाइब्रेरी के अलावा बिहार में भू-लेखों और जमीन से जुड़े सभी कागजों को लेकर 30 जिलों में राजस्व ग्रामों के जमीन के नक्शों की जियोरेफरेंसिंग कराई जाएगी। जमीन के नक्शे को सैटेलाइट इमेज से जोड़कर नक्शे को और भी सटीक बनाने का काम किया जा रहा है। अब कहीं से भी बैठकर जमीन की सटीक मूल्यांकन आसानी से किया जा सकता है, साथ ही आसपास की चीजों को भी देखा जा सकता है। इस काम को फिलहाल बिहार के 8 जिलों में पूरा कर लिया गया है, बाकी जिलों में यह काम काफी तेजी से चल रहा है।
बिहार भर के सभी गांवों के 1,35,865 मानचित्रों का डिजिटलीकरण हो चुका है। इससे किसानों को अपने गांव का नक्शा अब आसानी से उपलब्ध हो जाएगा। साथ ही, राजस्व मानचित्रों और चकबंदी अभिलेखों को स्कैन करने की प्रक्रिया चल रही है। आने वाले कुछ सालों में इसे पूरा कर लिया जाएगा और दस्तावेजों को ऑनलाइन उपलब्ध करा दिया जाएगा
मुजफ्फरपुर से इंद्रजीत सक्सेना की रिपोर्ट