अब तक 650 एनकाउंटर, इनमें 46 बदमाशों को ढेर किया….यह संख्या सुनने और पढ़ने में ज्यादा लग kmiसकती है, लेकिन सब कुछ रिकॉर्ड में दर्ज है। यह रिकॉर्ड बनाया है एनकाउंटर स्पेशलिस्ट IPS अजय साहनी ने।
अजय साहनी का बचपन से ही वर्दी पहनने का सपना था। सुबह मां जब बालों में कंघी कर स्कूल भेजती, तब कहती- एक दिन मेरा बेटा वर्दी जरूर पहनेगा। बेटे ने वर्दी पहनी भी और ऐसे फैसले लिए, काम किए कि महकमे में नजीर बने। मां-पिता का सिर गर्व से ऊंचा किया।रातों-रात एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बने IPS अजय साहनी इस समय सहारनपुर रेंज में DIG हैं।
महराजगंज जिले में आनंद नगर पड़ता है। यहां किसान बीएल साहनी के घर 11 जुलाई, 1981 को बेटे ने जन्म लिया। प्यार से नाम रखा गया- अजय। मां चंद्रमला साहनी जूनियर स्कूल में टीचर थीं। अभी प्राइवेट स्कूल चलाती हैं। अजय साहनी बताते हैं- मेरी शुरुआती शिक्षा घर से एक किमी की दूरी पर आनंद नगर के प्राइवेट स्कूल में हुई। जब दूसरे बच्चों के साथ सुबह स्कूल जाता, तो मम्मी तैयार करती थीं। मां पहले बालों में तेल लगातीं और कंघा करती थीं। वो दिन मुझे आज भी अच्छे से याद है।
पिताजी सुबह ही खेत पर चले जाते थे। मां कहती- मेरा बाबू बड़ा होकर एक दिन वर्दी जरूर पहनेगा। कई बार स्कूल में कार्यक्रम होते, तो मैं स्काउट की वर्दी पहनकर जाता था। पांचवीं के दिन याद हैं, स्कूल जाते हुए बैग को कभी इस कंधे पर रखता तो कभी दूसरे कंधे पर रख लेता। गर्मियों में जब ज्यादा धूप पड़ती तो आते समय बस्ते को सिर पर रख लेता। क्लास-9 में आने के बाद साइकिल से आने-जाने लगा।
अजय साहनी आगे बताते हैं- 12वीं तक की पढ़ाई आनंद नगर के जयपुरिया कॉलेज में हुई। 1997 में दसवीं और 1999 में 12वीं हिंदी मीडियम से पास की। मां सरकारी टीचर थीं तो वह ज्यादा पढ़ाई पर ध्यान देती थीं। अगर किसी दिन स्कूल नहीं जाता तो पिता और बड़े भाई के साथ खेत पर चला जाता। इस पर मां कहती थीं- स्कूल छोड़कर खेत पर…? मैं यही कहता था- मां सब काम कर लूंगा। बस मेरी ड्रेस धोकर तैयार कर देना, फिर में अगले दिन समय से स्कूल जाता।
वह बताते हैं- 12वीं के बाद मुझे पढ़ाई के लिए इलाहाबाद भेजा गया। 2002 में बीए और फिर 2004 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में MA किया। इलाहाबाद में UPSC की तैयारी करने वाले छात्रों को देखता था। मन में पहले से ही था, वर्दी पहनकर अफसर ही बनना है।
MA करने के बाद कॉम्पिटिशन की तैयारी करने लगा। अपने साथियों और अन्य लोगों को देखा कि यूपी-पीसीएस की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन, यहां से मैंने अपनी सोच बदली और निर्णय लिया कि इससे भी बड़ा सपना है।
जब भी घर आता तो पिता यही कहते- सभी सरकारी नौकरियों की तैयारी मत करना, बस एक अच्छी नौकरी ध्यान में रखना। लक्ष्य एक ही लेकर चलना। पहले ही प्रयास में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर सिलेक्शन हो गया। यह बात जब मां और पिता को बताई तो वह बहुत खुश हुए। कुछ समय बाद जॉइन करना था। लेकिन मना कर दिया कि मैं यह नौकरी नहीं करूंगा। मेरी UPSC की तैयारी चल रही है, जल्द एग्जाम देना है। यह सुनकर मां ने भी हौसला बढ़ाया। कहा- बस मेहनत से पढ़ना, एक दिन कामयाबी जरूर मिलेगी।
अजय साहनी आगे बताते है- पहले ही प्रयास में प्री पास किया। उसके बाद मेंस में शामिल हुआ। इंटरव्यू में बैठने के बाद सिलेक्शन नहीं हुआ। यहां से कुछ निराश हुआ, लेकिन हार नहीं मानी। फिर दिल्ली में रहकर तैयारी की। 2009 में दूसरे प्रयास में IPS में सिलेक्शन हुआ, तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मैंने सबसे पहले मम्मी को फोन किया था। उन्हें बताया- बेटा अब वर्दी पहनेगा। वो मेरी लाइफ का सबसे खुशी वाला दिन था। उस दिन को आज तक नहीं भूला हूं
अजय साहनी बताते हैं- साल 2010 में ट्रेनिंग खत्म होने के बाद मेरी पहली पोस्टिंग मुरादाबाद में हुई। यहां कुंदरकी थाना पड़ता है। वहां मैं थाना प्रभारी बनाया गया। उस वक्त हमारे DIG अशोक कुमार थे। मुझे मुरादाबाद में आए हुए अभी एक महीना ही हुआ होगा, वहां दंगा हो गया। भीड़ सड़कों पर उतर आई। DIG सर का कॉल आया और मैं मौके पर निकल गया। सिर पर हेलमेट था, पहले से ही बुलेट प्रूफ जैकेट पहने का शौक था तो पहन ही ली। मुझे कतई नहीं पता था कि स्थिति बहुत ज्यादा बिगड़ जाएगी। देखते ही दंगाइयों ने हमारी टीम को चारों तरफ से घेर लिया। पथराव होने लगा और कुछ ही देर में फायरिंग भी।
इसी दंगे में DIG अशोक कुमार साहब, जब मेरी आंखों के सामने जख्मी हुए तो मैं देखता ही रह गया। कई सीओ और एसपी सिटी दौड़कर आए। उन्हें गाड़ी से अस्पताल में भिजवाया। DIG इस तरह से जख्मी थे कि हमें चिंता होने लगी। बहुत सीरियस कंडीशन थी।
जख्मी हुए अन्य साथियों को भी अस्पताल पहुंचाया गया। मैं मौके पर ही डटा था। हिंसा बढ़ती देख मैं भीड़ की तरफ बढ़ा और पिस्टल हाथ में ले ली। यह देखकर फोर्स के जवानों को हौसला बढ़ा। कई थाना प्रभारी और सीओ भी मेरे साथ साथ मूवमेंट में आ गए।
एक हाथ में लाठी थी, दूसरे में पिस्टल। पीछे भारी संख्या में फोर्स। जो भी दंगाई मिला, उस पर लाठियां चलाई गईं। किसी को घसीटकर जीप में डाल लिया जाता। दंगाई जब गोली चलाते, तो ऐसा लगता था मौत सामने खड़ी है। लेकिन, फोर्स लेकर भीड़ में और आगे तक घुस जाता जिससे फोर्स का मनोबल भी बढ़ता। घायल DIG अशोक कुमार का 6 महीने तक इलाज चला।
अजय साहनी बताते हैं- मुरादाबाद में 4 महीने तक तैनात रहने के बाद मेरी बतौर ASP कानपुर पोस्टिंग हुई। उस समय मुझे गोविंद नगर सर्किल दिया गया।यहां पर मोनू और लिटिल चंदेल नाम के दो कुख्यात लगातार लूट, हत्या और डकैती की वारदात कर रहे थे। इन दोनों को पकड़ने की जिम्मेदारी मुझे दे दी गई।
मैने अपनी एक टीम तैयार की, जिसमें 4 सिपाहियों को भी तैयार किया। एक दिन मुझे सूचना मिली, मोनू नाम का बदमाश फिर किसी व्यापारी के यहां बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में है। मैं टीम के साथ मुखबिर की सूचना पर बताई हुई जगह पर पहुंचा, तभी हम लोगों पर फायरिंग हो गई।
पहली बार लगा, गोली मेरे कान के पास से निकल गई। इसके बाद दोनों तरफ से गोलियां चलने लगीं। हमारी टीम डटी रही। फिर मोनू और लिटिल चंदेल अलग-अलग हो लिए। मैंने भी टीम को अलग किया। मोनू और लिटिल चंदेल इस एनकाउंटर में मार गिराए गए। मुझे याद है- उस समय कानपुर पुलिस के अधिकारी कहने लगे, नए एएसपी साहब हैं, पूरा नया खून। जिन बदमाशों का सुराग नहीं लग रहा था, दोनों ही ढेर कर दिए। यह मेरे लिए शाबाशी जैसा था।
वह बताते हैं- बुलंदशहर में एसपी सिटी के रूप में तैनाती हुई। बुलंदशहर में पंचायतों और माफिया में कई बड़े नाम थे। एक दिन फोर्स के 50 जवान लेकर अगौता क्षेत्र के एक गांव में गया, तो पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया। ब्लॉक प्रमुखी में एक बदमाश की तूती बोलती थी। मगर, उस दिन के बाद 2 साल तक वह बदमाश पूरे जिले में नहीं झांका। माफिया और हिस्ट्रीशीटर जिला छोड़कर भाग गए।
उसी समय नोएडा के दनकौर और दादरी जिले में हिंसा हो गई। दोनों तरफ से गोलियां चलाई गईं। कानून व्यवस्था संभालने मुझे भेज दिया गया। दोनों ही स्थानों पर हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में खुद मोर्चा संभाल लिया।
आजमगढ़ में एक समय बदमाशों की तूती बोलती थी। इससे पहले सिद्धार्थनगर में बावरिया गैंग लगातार डकैती और लूट की घटनाएं कर रहा था। यहां कप्तान का चार्ज संभालते ही 9वें दिन एक लाख के बदमाश को मार गिराया। 13 अन्य बदमाश भी पकड़कर जेल भेजे। पूरे जिले में बावरिया गैंग की तलाश में अभियान चलाया गया।
तभी आजमगढ़ में दंगे हुए तो सरकार ने वहां एसएसपी, डीआईजी, कमिश्नर और अन्य अधिकारियों को हटा दिया। उसके बाद वहां मेरी विशेष तौर पर पोस्टिंग की गई। इन्हीं दंगों में सीओ सिटी सरोज को गोली लगी थी। मैंने कहा, जिन्होंने सीओ को गोली मारी है वह सबसे पहले चाहिए। सीसीटीवी फुटेज और मुखबिर लगा दिए। बाद में तीन युवकों को भी पुलिस मुठभेड़ में गोली लगी और उन्हें अरेस्ट कर जेल भेजा गया। दंगाइयों को लेकर घर-घर अभियान चलाया। इसके बाद आजमगढ़ में दंगे नहीं हुए।
इसके बाद बिजनौर में दंगे हुए तो सरकार ने बिजनौर का कप्तान बना दिया। एक साल तक बिजनौर रहा। इसी समय 2017 में प्रदेश में योगी सरकार आई, तो आजमगढ़ में दोबारा से पोस्टिंग कर दी।
यहां डी-19 गैंग का बड़ा नाम था। एक साल की पोस्टिंग में आजमगढ़ में 9 बदमाशों का एनकाउंटर किया गया। मैं जब तक आजमगढ़ में तैनात रहा, लूट-हत्या और डकैती जैसी घटनाओं पर फुल स्टॉप लगाने के लिए एक्टिव रहा।
अजय साहनी आगे बताते है- पहले ही प्रयास में प्री पास किया। उसके बाद मेंस में शामिल हुआ। इंटरव्यू में बैठने के बाद सिलेक्शन नहीं हुआ। यहां से कुछ निराश हुआ, लेकिन हार नहीं मानी। फिर दिल्ली में रहकर तैयारी की। 2009 में दूसरे प्रयास में IPS में सिलेक्शन हुआ, तो खुशी का ठिका
अजय साहनी बताते हैं- मैंने अपने अब तक के करियर में 46 बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर किया। मुझे साल 2018 की बात याद है। उन दिनों मैं बतौर SSP अलीगढ़ में तैनात था। सावन का महीना चल रहा था। पहले सोमवार के लिए हमने चाक-चौबंद व्यवस्था की थी। आदेश दिए गए थे कि शांतिपूर्ण तरीके से शिवालयों में पूजा-अर्चना हो, कहीं कोई अनहोनी नहीं होनी चाहिए।
पुलिस महकमा अलर्ट था। लेकिन, अपराधी क्या कर दें और किसे टारगेट बना लें ये कोई नहीं जानता। उस दिन यही हुआ। पहले सोमवार को डकैती हो गई। पाली मुकीमपुर थाना क्षेत्र के भूडरा आश्रम रोड पर बने एक शिव मंदिर में अज्ञात बदमाशों ने धावा बोल दिया। उस वक्त मंदिर में दो पुजारियों समेत तीन लोग सो रहे थे।
बदमाशों ने डंडों से पीट-पीट कर दो साधुओं की हत्या कर दी। तीसरे को मरा समझकर भाग गए। थाने में सूचना आई। सभी लोग दल-बल के साथ मौके पर पहुंच गए। इस घटना के बाद चारों तरफ डिपार्टमेंट पर सवाल उठाए जाने लगे। हमने अपना नेटवर्क मजबूत किया। मुखबिरों को काम पर लगाया। पूरे मामले की जांच-पड़ताल की। इस दौरान अलीगढ़ में अन्य घटनाएं भी हुईं। इन सभी का पैटर्न एक जैसा था।
हमें जैसे ही इनपुट मिलता, मौके पर पहुंच जाते। लेकिन, बदमाश फायरिंग करने लगते। इस तरह इन घटनाओं में शामिल 7 बदमाशों को मारा गया। 4 बदमाश एक ही दिन में मार गिराए। यह यूपी पुलिस के इतिहास में दर्ज है कि एक दिन में 4 बदमाश ढेर किए गए हो।
दूसरी बार में 2 और फिर 7वां बदमाश भी मारा गया। 2019 लोकसभा चुनाव के समय चुनाव आयोग ने बाराबंकी एसपी के पद पर तैनाती की। यहां पहली बार खुलासा किया कि आबकारी विभाग ही शराब की तस्करी कर रहा है। आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर और अन्य लोग बार कोड में छेड़छाड़ कर रहे थे। आबकारी के इंस्पेक्टर पर केस दर्ज कर जेल भेज दिया तो लखनऊ तक हल्ला हुआ, लेकिन किसी को नहीं बख्शा।
अजय साहनी बताते हैं- मैंने अपने अब तक के करियर में 46 बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर किया। मुझे साल 2018 की बात याद है। उन दिनों मैं बतौर SSP अलीगढ़ में तैनात था। सावन का महीना चल रहा था। पहले सोमवार के लिए हमने चाक-चौबंद व्यवस्था की थी। आदेश दिए गए थे कि शांतिपूर्ण तरीके से शिवालयों में पूजा-अर्चना हो, कहीं कोई अनहोनी नहीं होनी चाहिए।
पुलिस महकमा अलर्ट था। लेकिन, अपराधी क्या कर दें और किसे टारगेट बना लें ये कोई नहीं जानता। उस दिन यही हुआ। पहले सोमवार को डकैती हो गई। पाली मुकीमपुर थाना क्षेत्र के भूडरा आश्रम रोड पर बने एक शिव मंदिर में अज्ञात बदमाशों ने धावा बोल दिया। उस वक्त मंदिर में दो पुजारियों समेत तीन लोग सो रहे थे।
बदमाशों ने डंडों से पीट-पीट कर दो साधुओं की हत्या कर दी। तीसरे को मरा समझकर भाग गए। थाने में सूचना आई। सभी लोग दल-बल के साथ मौके पर पहुंच गए। इस घटना के बाद चारों तरफ डिपार्टमेंट पर सवाल उठाए जाने लगे। हमने अपना नेटवर्क मजबूत किया। मुखबिरों को काम पर लगाया। पूरे मामले की जांच-पड़ताल की। इस दौरान अलीगढ़ में अन्य घटनाएं भी हुईं। इन सभी का पैटर्न एक जैसा था।
हमें जैसे ही इनपुट मिलता, मौके पर पहुंच जाते। लेकिन, बदमाश फायरिंग करने लगते। इस तरह इन घटनाओं में शामिल 7 बदमाशों को मारा गया। 4 बदमाश एक ही दिन में मार गिराए। यह यूपी पुलिस के इतिहास में दर्ज है कि एक दिन में 4 बदमाश ढेर किए गए हो।
दूसरी बार में 2 और फिर 7वां बदमाश भी मारा गया। 2019 लोकसभा चुनाव के समय चुनाव आयोग ने बाराबंकी एसपी के पद पर तैनाती की। यहां पहली बार खुलासा किया कि आबकारी विभाग ही शराब की तस्करी कर रहा है। आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर और अन्य लोग बार कोड में छेड़छाड़ कर रहे थे। आबकारी के इंस्पेक्टर पर केस दर्ज कर जेल भेज दिया तो लखनऊ तक हल्ला हुआ, लेकिन किसी को नहीं बख्शा।
अजय साहनी मेरठ में 2 साल तक एसएसपी रहे। बकरीद पर यहां लाउडस्पीकर से अनाउंस कराया कि ऊंट की कुर्बानी करने वाले जेल भेजे जाएंगे। मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों में सीओ और थाना प्रभारी को आदेश दिया कि कहीं भी ऊंट कटा, तो वहां का थानेदार जेल जाएगा।
मुस्लिम समाज में SSP का विरोध होने लगा। शहर काजी और दूसरे नेता SSP अजय साहनी से मिलने पहुंच गए। तब उन्होंने कहा- अवैध कुर्बानी नहीं होने दी जाएगी। इसके बाद घर-घर ड्र्रोन कैमरे और पुलिस की मदद से अभियान चलाया। पूरे प्रदेश में यह लागू किया गया कि ऊंट की कुर्बानी प्रतिबंधित है। दूसरे आदेश में कहा- सड़क पर नमाज नहीं होगी। सड़कों पर फोर्स तैनात कर दी।
मेरठ में शिवशक्ति नायडू समेत 6 बदमाशों को मार गिराया। 6 लाख की लूट करने वाले दोनों बदमाश भी एक साथ मारे गए। 370 का निर्णय आया, शहर में बेहतर तरह से कानून व्यवस्था संभाली गई। सीएए हिंसा में हजारों की भीड़ सड़कों पर उतरी तो खुद मोर्चा संभाला। इसमें 6 उपद्रवी मारे गए।
इसके बाद अजय साहनी की जौनपुर में पोस्टिंग हुई। यहां के हिस्ट्रीशीटर और कुख्यात बदमाशों पर कार्रवाई की गई। कई बदमाशों ने सरेंडर किया, तो कई को पकड़ लिया गया। जौनपुर में पोस्टिंग के दौरान अजय साहनी के नाम 6 बदमाशों का एनकाउंटर करने का रिकॉर्ड दर्ज है।
अचीवमेंट्स
डीजीपी के तीनों मेडल से सम्मानित किया जा चुका है।
2 बार राष्ट्रपति वीरता पदक से सम्मानित किया गया।
सीएम द्वारा शौर्य सम्मान से भी सम्मानित किया।
वर्दी धारियों पर एक्शन लेने वाले ये IPS हैं संकल्प शर्मा। IT कंपनी की नौकरी ठुकराकर खाकी वर्दी पहनने वाले संकल्प न सिर्फ कानून व्यवस्था का पालन कराने के लिए जाने जाते हैं, बल्कि उनकी लव स्टोरी भी चर्चित रही है। IIT रुड़की से M.Tech करने वाले संकल्प की पूरी कहानी पढ़िए